CHITTORGADH FORT RAJASTHAN चित्तौड़गढ़ किला ,राजस्थान
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CHITTORGARH FORT,RAJASTHAN चित्तौड़गढ़ किला ,राजस्थान.
Chittorgarh Fort Rajasthan |
भारत के इतिहास में कई सारे अनगिनत योद्धा होकर गए कुछ योद्धायो को इतिहास के पन्नो में जगह मिली तो कई सारे योद्धा इतिहास के पन्नो में कही खो से गए। भारत और खासकरके राजस्थान में कई सारे योद्धायो का जन्म हुवा जिन्होंने अपनी वीरता से बड़े बड़े दुश्मनो के छक्के छुड़ाए थे और अपने दुश्मनो का सामना करने के लिए इन राजपूत राजयो ने बनावाये थे अद्भुत और विशाल किले। समय के साथ साथ राजपूत योद्धा तो चले गए लेकिन इनके पराक्रम,बलिदान और शौर्य की कहानी सुनाते किले आज भी राजस्थान में मौजूद हैं, वैसे तो राजस्थान में सेकड़ो किले मौजूद है लेकिन इनमे सबसे प्रमुख और देश का सबसे बड़ा किला है चित्तोरगढ।
अपनी भव्यता और ऐतिहासिक महत्त्व के कारण ईस किले को UNESCO ने २०१३ में अपनी विश्व धरोहर की सूचि में शामिल किया।
तो चलिए इस ब्लॉग में हम देखते है चित्तोरगढ के बारे में रोचक जानकारी।
राजस्थान का गौरव माना जाने वाला यह चित्तौड़गढ़ का विशाल दुर्ग करीब ७०० एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। और करीब १३ किलोमीटर की परिधि में बना यह भारत का सबसे विशाल और आर्कषक दुर्गों में से एक है। चित्तोरगढ का किला काफी भव्य है किले पर १९ मुख्य मंदिर,४ बेहद आर्कषक महल परिसर, ४ ऐतिहासिक स्मारक एवं करीब २२ बेहद ही खूबसूरत जलाशय भी शामिल हैं।
Chittorgarh Rajasthan |
चित्तौड़गढ़ किला गंभीरी नदी के पास और अरावली पर्वत शिखर पर सतह से करीब २०० मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है। चित्तौड़गढ़ के इस विशाल किले तक पहुंचने के लिए ७ अलग-अलग प्रवेश द्धार से होकर गुजरना पड़ता है।
पुराणिक कथा के अनुसार इस किले का निर्माण पांच पांडवो में से एक भीम ने एक रात में ही किया था।
वैसे देखा जाये तो चित्तौरगढ़ किले का निर्माण किसने और कब किया इसके पक्के सबुत इतिहास में नहीं मलते इतिहासकारो की माने तो इस किले का निर्माण मौर राजा चित्रांग ने किया था और किले का नाम चित्रकोट रखा था, बाद में गुहिल वंश के संस्थापक बप्पा रावल ने मौर वंश के आखरी राजा पर विजय प्राप्ति के साथ आठवीं शताब्दी में चित्तोरगढ किले की स्थापना की। चित्तौरगढ़ अलग-अलग समय पर मौर, गुहिल,सोलंकी, खिलजी, मुगल, प्रतिहार, चौहान और परमार वंश के शासकों के कब्जे में रहा। अलग अलग राजाओं के समय इस किले में कई सारे महल और इमारतों का निर्माण किया गया।
Chittorgarh Rajasthan |
चित्तौरगढ़ किला कई सारी ऐतिहासिक लढ़ाईयोंका साक्षीदार है। लेकिन यंहा की सबसे मशहूर लढाई हुवी थी साल १३०३ में जब अल्लाउद्दीन खिलजी ने चित्तोरगढ पर आक्रमण किया था । इतिहासकार बताते है चित्तोरगढ की महारानी रानी पद्मावती बहुत ही सुन्दर थी और उसे पाने की चाह में अल्लाउदीन ने किलेपर आक्रमण किया था।अल्लाउद्दीन ने किले पर तो विजय प्राप्त की लेकिन वो रानी को नहीं पा सका रानी पद्मावती ने अपने १३ हजार ओर रानियों के साथ जौहर किया। साल १५३५ में गुजरात के शासक बहादुर शाह ने इस किले पर आक्रमण किया था अपनी रक्षा के लिए राजा विक्रमजीत सिंह की पत्नी रानी कर्णावती ने दिल्ली के बादशाह हुमायूँ को राखी भेजी थी लेकिन जब तक हुमायूँ की मदत मिलती तबतक काफी देर हुवी थी रानी कर्णावती ने अपने ११ हजार रानियों के साथ जौहर किया। मुगल बादशाह अकबर ने १५६७ में चित्तौड़गढ़ किले पर हमला कर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया।
देश के ईस सबसे विशाल किले में कई सारी इमारते और महल आज भी अच्छी स्थिति में मौजूद है जो हमें हमारे शूरवीर पूर्वजो के गौरव शैली इतिहास की साक्ष देते हैं।
Chittorgarh Rajasthan |
पर्यटकों किले की कई सारे इमारते और स्थल आज भी अपनी ओर आकर्षित करते है इनमेसे सबसे प्रमुख हैं।
विजय स्तब्ध जिसका निर्माण राणा कुंभ ने मालवा के सुल्तान महमूद शाह खिलजी को सन् १४४० ई. में प्रथम बार परास्त कर उसकी यादगार में अपने इष्ट देवता विष्णु को समर्पित ये विजय स्तंभ का निर्माण किया था। इस स्तंभ का निर्माण साल १४४८ में किया था जिसे बनाने में लगभग १० साल लगे थे। विजय स्तंभ कुल ३७.२ मीटर ऊँचा है इस स्तंभ पर भगवान विष्णु के अलग अलग अवतार तथा हिन्दू पुराणिक देवी देवता वो उकेरा गया है और हर देवी देवताओं के निचे उनके नाम भी तराशे गए हैं।
कीर्ति स्तंभ विजय स्तंभ की तरह एक सात मंजिला स्तंभ है जो भगेरवाल व्यापारी जीजाजी कथोड ने १२ वीं शताब्दी में बनवाया था, ये स्तंभ जैन धर्म का महिमामंडन करने के लिए बनाया गया था।
Chittorgarh Rajasthan |
महाराणा कुंभ महल महाराणा कुंभ ने एक पुराने महल का जीर्णोद्वार करवाया था और इसीलिए इस महल को महाराणा कुंभ का महल कहते है। इसी महल में महाराजा उदयसिंह का जन्म हुवा था जिन्होंने आगे जाके आज के उदयपुर शहर की स्थापना की जनाना महल,सूरज गोरवड़ा,कँवलदा महल, दीवान -ए-आम तथा शिव मंदिर इस महल के कुछ उल्लेखनीय हिस्से हैं।
कुम्भस्वामी मंदिर ईस मंदिर का निर्माण राणा कुंभ ने साल १४४९ में किया था ,ये मंदिर भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित हैं । मंदिर के अंदर भगवान विष्णु के अलग अलग रूप दर्शाये गए है। ईसका शिखर काफी आकर्षित और ऊँचा हैं।
Hindu Temple Chittorgarh Rajasthan |
कुम्भस्वामी मंदिर के सामने ही संत मीराबाई का मंदिर है मंदिर के अंदर भगवान श्री कृष्ण और संत मीराबाई की सुन्दर मूर्ति स्थापित हैं।
रानी पद्मिनी का महल इतिहास में प्रसिद्द रानी पद्मिनी का एक खूबसूरत महल पानी के बिच में बनाया है जो आज भी मौजूद है। पद्मिनी महल के सामने ही मरदाना महल है मरदाना महल में एक कमरे में एक विशाल दर्पण इस तरह से लगा है कि यहाँ से झील के मध्य बने जनाना महल की सीढ़ियों पर खड़े किसी भी व्यक्ति का स्पष्ट प्रतिबिम्ब दर्पण में नजर आता है। अल्लाउद्दीन ने भी रानी पद्मावती को इसी दर्पण में देखा था।
Padmini Palace Chittorgarh Rajasthan |
जौहर कुंड यंहा पर रानी पद्मावती ने अल्लाउद्दीन खिलजी के चित्तोरगढ पर विजय प्रति पर अपनी १३ रानियों के साथ जौहर किया था बाद में रानी कर्णावती ने भी यंहा पर जौहर किया था जौहर का मलतल जिन्दा खुदको अग्नि को समर्पित करना होता हैं।
कालिका माता का मंदिर पद्मिनीमहल के उत्तर में बाए ओर कालिका माता का सुन्दर मंदिर हैं, मूल रूप से यह मंदिर एक सूर्य मंदिर था। मुस्लिम आक्रमण करियो के बाद में इस मंदिर में कालिका माता की मूर्ति स्थापित की, ईस मंदिर के अंदरूनी दीवारों तथा छत पर काफी सूंदर नक्काशी तराशी गई हैं।
राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा यंहा पर हर शाम लाइट एंड साउंड शो का भी आयोजन किया जाता है जिसमे चित्तोरगढ और राजपूतो के गौरवशाली इतिहास को लाइट एंड साउंड शो के द्वारा पर्यटकों को दिखाया जाता है जिसे देखने के लिए पर्यटक खास तौर पर यंहा पर आते हैं।
इन प्रमुख आकर्षण के साथ साथ कई सारे छोटे बड़े मंदिर,महल और इमारते पाणी के सूंदर जलाशय देखने लायक ईतहासकारो की माने तो किले में ८४ पाणी के जलाशय थे जिनमे से आज केवल २२ ही बचे है जिनका अपना अपना धार्मिक महत्त्व भी है।
कैसे पहुंचे ?
चित्तोरगढ कासबसे नजदीकी हवाई अड्डा उदयपुर है जो की यंहा से ७० किमी दुरी पर हैं। रेलवे से पहुंचने के लिए चित्तोरगढ राजस्थान का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है यँहा से किला महस ७ की दुरी पर स्थित हैं।
कंहा पर ठहरे ?
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