'ठरलं तर मग' आजचा भाग २ एप्रिल २०२४ Tharal tar mag today's episode reviews.

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 'ठरलं तर मग' आजचा भाग २ एप्रिल २०२४ Tharal tar mag today's episode reviews  ठरलं तर मग या मालिकेच्या आजच्या भागामध्ये आपण पाहणार आहोत सुभेदारांच्या घरची धुळवड अगदी उत्साहात साजरी होत असते प्रत्येक जण एकमेकांना रंग लावत असतात मग काही वेळानंतर तेथे पुर्णाआजी येतात तेव्हा अस्मिता पळत  जाते आणि आजी असं म्हणून पुर्णाआजीला  रंग लावते त्या खूपच खुश होतात आणि सायलीकडे पाहतात तर ती एकटीच उभी असल्यामुळे त्या विचारतात ही का अशी उभी आहे ग त्यावेळी अस्मिता म्हणते अर्जुनची वाट पाहत असेल बाकी काय असं म्हणून ती लगेच नाक मुरडते मग काही वेळानंतर तेथे प्रताप येतो आणि म्हणतो पुर्णाआजी मी तुला रंग लावणार असं म्हणून तो देखील आता पुर्णाआजी रंग लावतो तेवढ्यातच कल्पना विमल त्याचबरोबर सायली देखील तेथे येतात सायली पुर्णाआजी रंग लावून म्हणते हॅपी होळी पुर्णाआजी असं म्हणून ती आशीर्वाद देखील घेते तेव्हा त्या देखील सायली ला आशीर्वाद देतात पुढे पुर्णाआजी विचारतात अरे अश्विन आहे कुठे? तेवढ्यातच अश्विन आत येथे येतो आणि पूपुर्णाआजी विचारतात की अरे तू कुठे गेला होतास एवढा वेळ तो म्हणतो मी दादाला बोलवायला गेल

कामख्या मंदिर गुवाहाटी असम KAMAKHYA TEMPLE GUVAHATI ASSAM

 कामख्या मंदिर ,गुवाहाटी, असम KAMAKHYA TEMPLE GUVAHATI ASSAM



 पुरे देश में माता पार्वती के ५१ शक्तिपीठे है इनमेसे कुछ प्रमुख विशेष महत्त्वपूर्ण और रहस्यमय  हैं ,इनमे से माता कामख्या एक हैं कामख्या मंदिर असम की राजधानी गुवाहाटी में ब्रम्हपुत्र नदी के किनारे स्थित हैं जो की मुख्य शहर से ९ किमी दूर हैं। 

जिस पहाड़ी पर कामख्या मंदिर मौजूद है, उसे नीलांचल या ब्लू हिल के नाम से जाना जाता है। वर्तमान कामख्या मंदिर,जिसे १५६५ ईस्वी में ११ वीं १२ वीं शताब्दी के पुराने  पत्थर के मंदिर के खंडहरों का उपयोग करके  दो अलग-अलग शैलियों के संयोजन से पुनर्निर्माण किया गया था। कामाख्या मंदिर पारंपरिक नगाड़ा याने  उत्तर भारतीय और सारसेनिक याने  मुगल शैली का अनूठा मिक्सचर हैं। इस अनोखे संयोजन शैलियों को अब नीलांचल स्टाइल ऑफ आर्किटेक्चर का नाम दिया गया है , आसाम एंव उत्तर भारत में कई  सारे मंदिर इस शैली में बनाये गए हैं ।  

प्रचलित कथा के अनुसार देवी सती ने भगवान शिव से शादी की. इस शादी से सती के पिता राजा दक्ष खुश नहीं थे. एक बार राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया लेकिन इसमें सती  के पति भगवान शिव को नहीं बुलाया. सती इस बात से नाराज़ हुईं और बिना बुलाए अपने पिता के घर पहुंच गई. इस बात पर राजा दक्ष ने उनका और उनके पति का बहुत अपमान किया सती से अपने पति का अपमान उनसे सहा नहीं गया और वो हवन कुंड में कूद गई। 

इस बात का पता चलते ही भगवान शिव भी यज्ञ में पहुंचे और सती का शव लेकर तांडव करने लगे, उन्हें रोकने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र फेका चक्र से सती का शव 51 हिस्सों में कटकर जगह-जगह गिरा. इसमें सती की योनि और गर्भ इसी कामाख्या मंदिर के स्थान यानी निलाचंल पर्वत पर गिरा. इस स्थान पर 16 वीं सदी में बिहार के राजा कोच  नारायण ने मंदिर बनाया। 

पौराणिक कथानुसार कामदेव ने अपना खोया हुवा रूप पाने के लिए भगवान् शिव जी के कहने पर  इस जगह पर माँ पार्वती को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की माँ ने कामदेव पर प्रसन्न  होकर कामदेव को अपना मूल रूप फिर से बहाल कर दिया और तबसे से यंहा के माँ पार्वती के रूप को कामाख्या के नाम से जाना है। 

इस मंदिर में कोई भी मूर्ति नहीं है. यहां सिर्फ योनि रूप में बनी एक समतल चट्टान को पूजा जाता हैं. मूर्तियां साथ में बने एक मंदिर में स्थापित की गई हैं. इस मंदिर में पशुओं की बली भी दी जाती है। 

इस मंदिर में हर साल अंबुवाची मेले का आयोजन किया जाता है,इस मेले में देशभर के तांत्रिक हिस्सा लेने आते हैं. ऐसी मान्यता है कि इन तीन दिनों में माता सती रजस्वला होती हैं और जल कुंड में पानी की जगह रक्त बहता है।  इन तीन दिनों के लिए मंदिर के दरवाजे बंद रहते हैं. तीन दिनों के बाद बड़ी धूमधाम से इन्हें खोला जाता है। हर साल मेले के दौरान मौजूद ब्रह्मपुत्र नदी का पानी लाल हो जाता है. ऐसा माना जाता है कि ये पानी माता के रजस्वला होने का कारण होता है। 

इतना ही नहीं यहां दिया जाने वाले वाला प्रसाद भी रक्त में डूबा कपड़ा होता है. ऐसा कहा जाता है कि तीन दिन जब मंदिर के दरवाजे बंद किए जाते हैं तब मंदिर में एक सफेद रंग का कपड़ा बिछाया जाता है जो मंदिर के पट खोलने तक लाल हो जाता है। 

विश्वास ना रखने वाले लोगों का मानना है कि इस मंदिर के पास मौजूद नदी का पानी मंदिर में मेले में चढ़ाए गए सिंदूर के कारण होता है. या फिर यह रक्त पशुओं का रक्त होता है, जिनकी यहां बलि दी जाती है।

गुवाहाटी देश के प्रमुख शहरो में से एक और आसाम राज्य की राजधानी देश के अन्य शहरो से हवाई ,रेल तथा सड़क मार्ग से जुड़ा हैं। 

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