Top 10 Tourist Places visit/do in Odisha ओडिशा में प्रमुख 10 पर्यटन स्थल ( हिंदी में )

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खजुराहो(बुंदेलखंड) मध्यप्रदेश
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Kandaria Mahadev Temple Khajuraho Madya Pradesh |
नमस्काए दोस्तों और आपका स्वागत है Travloger.com में आज हम इस ब्लॉग में सैर करने वाले है एक एसे ही खूबसूरत ऐतिसाहिक मंदिरो की जीने कई सारे लोक खूबसूरती का बेजोड़ नमूना मानते है तो कई सारे लोक इसे केवल भगवान के नाम पर अश्लीलता फैलाने के आरोप करते है लेकिन जो भी हो ये मंदिर पिछले लगभग हजार सालो के भारत का गौरव दुनिया में अपनी अद्भुत शिल्पकारी से बढ़ा रहे है... जी हा सही पहचाना हम बात कर रहे है मध्यप्रदेश में बसे खजुरहो के विश्व धरोहर मंदिरो की।
खजुराहो भारत में मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है। खजुराहो को प्राचीन काल में 'खजूरपुरा' और 'खजूर वाहिका' के नाम से भी जाना जाता था। खजुराहो के आस पास के एरिया में काफी मात्रा में खजुर के पेड़ थे और इसी कारण इस जगह का नाम खजुराहो पड़ा । खजुराहो मंदिर अपने अद्भुत शिल्प कौशल और अकल्पनीय मूर्तिकला के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं। इन मंदिरों की दीवारों पर तराशी गई कामुक मूर्तियां पर्यटकों खजुराहो आने के लिए मजबूर करती हैं।खजुराहों के मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश के शासक चंद्रवर्मन ने करवाया था। इन खजुराहो के मंदिर 950 और 1050 ईस्वी के बीच बनाए गए थे। राजा चंद्रवर्मन के आलावा कई अन्य राजावो ने भी यंहा के मंदिर निर्माण में अपना योगदान दिया।
खजुराहो के मंदिर का जिक्र अलबरूनी,इब्नबतुड़ा और चीनी यात्री ह्वेनसांग,ने भी अपनी किताबे में अलग अलग नाम से किया हैं।
मूल रूप से खजुराहो में ८५ हिन्दू और जैन मंदिर बनाये थे जिनमे से अब केवल २२ मंदिर ही बचे है बाकि के मंदिर समय के साथ साथ और विदेशी राजाओं के हाथो से और नग्न मुर्तिया अपने धर्म के खिलाफ है ऐसा मानाने वालो के हाथे से नष्ट हो गई ;तो कई मुर्तिया खूबसूरत होने के कारण लोग इसे चुराकर ले गए।
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Erotic Sculpture Khajuraho Madhya Pradesh |
ब्रिटिश इंजीनियर टी एस बर्ट ने साल १८३८ खजुराहो के मंदिरों की खोज की है और तब से देश की ये अमूल्य विरासत पूरी दुनिया के सामने आई ,सारे मंदिरो के दीवारों पर विभिन्न काममुद्रा तराशी गई हैं , काम क्रीड़ा दुनिया के सभी जीवे में जीवन का महत्वपूर्ण अंग है लेकिन दुनिया के किसी धर्म में इसे लेकर खुले आम चर्चा नहीं होती लेकिन हिन्दू धर्म में मध्यकाल में काम को काफी एहमियत थी और इसी कारण खजुराहो में इन मंदिरो का निर्माण कराया गया था।
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नोवी-दसवीं शताब्दी के बिच भारत में बौद्ध धर्म का प्रभाव काफी ज्यादा था और समाज में सन्यास के मार्ग पर ज्याने वालो की तादात काफी बढ़ रही थी ऐसेमे हिन्दू धर्म में रहकर धर्म,अर्थ,काम के माध्यम से भी मोक्क्ष प्राप्ति की जा सकती है। ये समझाने के लिए खजुराहो के मंदिर के बाहरी दीवारों पर कामसूत्र की कई सारे मुर्तिया उकेरी गई हैं। दूसरा कारण ये भी बताया जाता है की मंदिर के अंदर प्रवेश करने से पहले इंसान अपना मन साफ़ रखे मिथुन जोड़े बाहर ही देखे और अपनी काम जिज्ञासा संतुष्ट करें खजुराहो के मंदिर के अंदर ऐसी कामुक मुर्तिया नही मिलती। |
इन मंदिरों की इस भव्यता, सुंदरता और अद्भुत स्थापत्य कला को देखते हुए ही १९८६ में UNESCO ने ईसे अपने विश्व धरोहर की सूचि में शामिल किया ।
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Erotic Sculpture Khajuraho Madhya Pradesh पश्चिमी समूह में लक्ष्मी मंदिर,वराह मंदिर,लक्ष्मण मंदिर,कंदरिया महादेव मंदिर,सिंह मंदिर,देवी जगदम्बा मंदिर,सूर्य (चित्रगुप्त) मंदिर,विश्वनाथ मन्दिर,नन्दी मंदिर,पार्वती मंदिर शामिल हैं । |
पूर्वी समूह में वामन मंदिर,जावरी मंदिर,जैन मंदिर आदि मंदिर शामिल हैं।
दक्षिणी समूह ,चतुर्भुज मंदिर,दुल्हादेव मन्दिर ये सबसे प्रमुख और आकर्षक मंदिर हैं ।
खजुराहो में सबसे खूबसूरत और भव्य मंदिर है पश्चिमी समूह में स्थित कंदरिया महादेव मंदिर ये यंहा का सबसे बड़ा और खूबसूरत मंदिर हैं। इस मंदिर का निर्माण साल १०५० में चंदेला राजा विद्याधर ने मोहम्मद गजनी के ऊपर विजय प्राप्ति के स्मरण में किया था। ये मदिर १०७ फ़ीट ऊँचा है और इस मंदिर में सबसे ज्यादा कामक्रीड़ा में मग्न मिथुन जोड़ो के शिल्प हैं इस मंदिर के बाहर 646 आकृतियां और भीतर 246 आकृतियों की गणना की गई हैं।
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खजुराहो में एकमात्र सूर्यमंदिर है जो की चित्रगुप्त मंदिर के नाम से जाना जाता हैं इस मंदिर का निर्माण चंदेल राजा विद्याधर ने ही करवाया था। मंदिर के अंदर भगवान सूर्यदेव की सात फ़ीट ऊँची सात घोड़ो के रथ पर सवार खूबसूरत मूर्ति हैं। |
पार्वती मंदिर – इस मंदिर में देवी गंगा विराजमान हैं जो नदियों की देवी हैं ,वे अपने वाहक मगरमच्छ पर खड़ी हुई हैं। यह मंदिर गौरी का प्रतिनिधित्व करता है जो देवी पार्वती का ही एक रूप है। विद्वानों के अनुसार मूल रूप से यह मंदिर भगवान विष्णु जी को समर्पित है।
लक्ष्मण मंदिर – यह मंदिर रामचंद्र चतुर्भुज के नाम से भी जाना जाता है और यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण राजा यशोवर्मन किया था।
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मंदिर के सामने आने वाले पर्यटकों भारतीय संस्कृति और खजुराहो का गौरवशाली इतिहास बताने वाला 'लाइट एंड साउंड' शो का हर शाम आयोजन किया जाता हैं। हर साल फरवरी महीने के आखरी सप्ताह में ६ दिन का खजुराहो महोत्सव का आयोजन मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा किया जाता हैं। जिसमे विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है।
खजुराहो कैसे पहुंचे ?
खजुराहो झाँसी से दक्षिण में १७५ किमी,दिल्ली से ६४० किमी और आगरा से ४४० किमी दूर स्थित हैं। खजुराहो में अपना हवाई अड्डा भी हैं यंहा पर नियमित अंतराल से हवाई जहाज से पहुंचा जा सकता हैं। खजुराहो उत्तरमध्य रेलवे विभाग का महत्वपूर्ण रेलवे स्थानक हैं , देश के प्रमुख शहरो से खजुराहो रेलवे से पंहुचा जा सकता हैं। खजुराहो पक्की सड़को से देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हैं। अक्टूबर से लेके मई तक खजुराहो घूमने का सही समय माना जाता है।
कहाँ पर ठहरे ?
खजुराहो में दो सितारा होटल से पांच सितारा होटल रहने की सुविधा महैया करते हैं।
सस्ते दाम में अच्छा होटल बुक करने के लिए निचे दिए गए लिंक पर जाकर अपना होटल बुक कर सकते हैं।
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