Top 10 Tourist Places visit/do in Odisha ओडिशा में प्रमुख 10 पर्यटन स्थल ( हिंदी में )

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Top 10 Tourist Places visit/do in Odisha ओडिशा में प्रमुख 10 पर्यटन स्थल Top 10 Tourist Places of Odisha  भारत के पूर्वी तट पर स्थित ओडिशा प्राकृतिक सुंदरता , समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और वास्तुशिल्प के चमत्कारों का खजाना है। अपने विविध परिदृश्यों, प्राचीन मंदिरों, अतुलनीय समुद्र तटों और वन्यजीव अभ्यारण्यों के साथ, ओडिशा एक अनूठा और समृद्ध यात्रा अनुभव प्रदान करता है। इस ब्लॉग  में, हम ओडिशा के प्रमुख 10 पर्यटन  स्थलों को जानेंगे  जो पर्यटकोंको यँहा आने को मजबूर कर  मंत्रमुग्ध कर देंगे। 10 ) Daringbadi दारिंगबाड़ी:(ଦାରିଙ୍ଗବାଡି |) "ओडिशा के कश्मीर" के रूप में जाना जाता है, दारिंगबाड़ी हरे-भरे घाटियों और कॉफी बागानों के बीच बसा एक खूबसूरत  हिल स्टेशन है।पर्यटक एक सुखद जलवायु का अनुभव कर सकते हैं, आश्चर्यजनक खूबसूरत  झरनों की यात्रा करें, और इस सुरम्य पहाड़ी रिट्रीट की शांति का आनंद लें। 9) Sambalpur संबलपुर:(ସମ୍ବଲପୁର) महानदी नदी के तट पर स्थित संबलपुर विश्व प्रसिद्ध संबलपुरी वस्त्र और भव्य समलेश्वरी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। दुनिया के सबसे बड़े मिट्टी के ...

भारत का प्राचीन बौद्ध केंद्र साँची का महान स्तूप मध्यप्रदेश ANCIENT BUDDHIST CENTER GREAT STUPA OF SANCHI MADHYA PRADESH

भारत का प्राचीन बौद्ध केंद्र साँची का महान स्तूप मध्यप्रदेश  ANCIENT BUDDHIST CENTER GREAT STUPA OF SANCHI MADHYA PRADESH

Sanchi Stupa Vidhisha Madhya Pradesh


भारत में एक समय ऐसा भी था की पूरा भारत वर्ष महात्मा गौतम बुद्ध के विचारोसे प्रभावित था,और देश के कोने कोने में बौद्ध धर्म पहुंच कर संपूर्ण -एशिया में भी फैला था ,और ईसके प्रमाण आज भी हमें पुरे भारत वर्ष में देखने को मिलते हैं। भारत और भारत के बहार बौद्ध धर्म को पहुँचाने का काम बौद्ध सम्राट अशोक महान ने किया था।  इतिहासकारो की माने तो सम्राट अशोक ने  पुरे भारत में ८४००० स्तूपों का निर्माण किया था , आज हम इनमेसे से एक सबसे खूबसूरत मशहूर और महत्वपूर्ण बौद्ध स्तूप की सैर करेंगे जो एक विश्व धरोहर स्थल हैं जी हाँ हम बात कर रहे है साँची के विश्व प्रसिद्ध स्तूप की।

साँची का महान स्तूप भारत की सबसे प्राचीन संरचनाओ में से एक है ,ईसा पूर्व तीसरी सदी में सम्राट अशोक महान ने इसे बनवाया था। साँची बौद्ध महान स्तूप के लिये प्रसिद्ध है जो भारत के मध्यप्रदेश राज्य के रायसेन जिले के साँची शहर में स्थित है और भोपाल से उत्तर-पूर्व में 46 किलोमीटर दूर ,तथा  विदिशा से केवल १० किमी दूर एक छोटी सी  पहाड़ी पर स्थित है। बस या रेलवे से जाते वक्त साँची स्तुप का खूबसूरत दॄश्य दूर से ही दिखाई देता हैं। कहा जाता है की सम्राट अशोक की पत्नी महारानी देवी विदिशा के एक व्यापारी की बेटी थी जिसका विवाह सम्राट अशोक से साथ साँची में ही हुवा था और महारानी देवी की जन्मस्थली भी साँची ही  थी  ईस स्तूप के निर्माण का कार्य सम्राट अशोक की पत्नी महारानी देवी की निगरानी में हुवा था ।

इस महान स्मारक को भगवान बुद्ध के अवशेषों के आधार पर बनाया गया |साँची के स्तूप का निर्माण  सर्व प्रथम सम्राट अशोक के समय में ईंटो से किया गया था और ईसके चारो दिशा में चार महाद्वार भी बनवाये थे।  साँची में कुल तीन स्तूप है और ४५ से भी ज्यादा छोटे बड़े स्मारक और  मंदिर भी है । ईस निर्माण की शुरवात सम्राट अशोक के समय में याने के ईसा पूर्व  तीसरी सदी में हुवा था जो ईसा की १२ सदी तक चलता रहा।

 साँची के स्तूप के १९८९ में  UNESCO ने अपनी  विश्व धरोहर की सूचि में इसे सूचीबद्ध किया।

सांची दुनयाभर के प्रसिद्ध स्थानों में से एक है, जिन्हें केवल भारत में ही मान्यता नहीं मिली है, बल्कि आज पूरे विश्व में साँची एक बौद्ध धर्म का एक महान केंद्र बन गया है और उसका प्राचीन वैभव उसे फिर से बहाल हो चूका हैं।

    सर्व प्रथम ईस स्मारक को ईटो  बनाया गया था लेकिन बाद में राजा पुष्पमित्र श्रृंग ने इसे तोड़ दिया इतिहास में पुष्पमित्र श्रृंग मौर्यो का सेनापति था लेकिन उसने कपट से मौर्य राजा बृहद्रुत की हत्या कर राजा बना था बाद में उमने साँची स्तूप को काफी क्षति पहुंचाए लेकिन बाद के राजा अग्निमित्र ने इसकी मरम्मत करवाई और इसे पत्थर से ढक दिया। और अब स्तूप अपने वास्तविक आकर से और भी ज्यादा विशाल हो गया था। साँची के स्तूप की खोज १८१८ में हुवी बाद में ब्रिटिश अधिकारी सर जॉन मार्शल ने स्तूप को पुनर्रस्थपित किया।

सांची स्तूप एक विशाल अर्ध-परिपत्र, गुंबद के आकार का कक्ष है  जिसमें भगवान बुद्ध के अवशेषों को शांतता से दर्शाया है। यह स्तुप लगभग 16.5 मीटर ऊँचा  है, और इसका  व्यास 36 मीटर है।

Sanchi Stupa's Entrance Vidhisha Madhya Pradesh
सातवाहन राजा गौतमीपुत्र सातकर्णी ने स्तूप के चार दिशा के सामने प्रवेशद्वार तोरण  और स्तूप के चारो और कटघरा बना लिया। साँची के कटघरों का निर्माण 180-160 सदी से भी पहले बनाये गए थे ये काम श्रृंग राजा अग्निमित्र ने करवाया था बाद में इन्हें पत्थरो से आभूषित किया वो सातवाहन राजा सातकर्णि ने।  स्तूप के तोरण और कटघरे  में महात्मा बुद्धा के जीवन से संबंधित कुछ घटनाये और जातक कथाएँ वंहा पर उकेरी गयी हैं। बुद्धा के जीवन से संबंधित कुछ घटनाये भी वहा प्रदर्शित की गयी है।

प्राचीन एंव मध्ययुगीन भारत में साँची बौद्ध अनुयायियोंका महत्वपूर्ण केंद्र था। आज भी साँची में देश विदेश से लाखो की तादात के में पर्यटक यंहा आते है।

महान बौद्ध भिक्षु सारिपुत्र और मोग्गालयन के समाधी स्थल/विहार भी साँची में है। सम्राट अशोक द्वारा बनाया गया स्तंभलेख भी पर्यटकों को साँची स्तुप के दक्षिण द्वार के सामने देखने को मिलता है।

कैसे पहुंचे ? 

साँची पहुंचने के लिए यंहा का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है भोपाल जो की साँची से लगभग ४६ किमी दूर है।
अगर आप रेल्वे से पहुँचाना चाहते हो तो साँची तक रेल्वेसे पहुँच सकते हो साँची रेल्वे स्थानक स्तूप से केवल २ किमी दूर है।
विदिशा रेलवे स्थानक से सांची स्तूप से १० किमी दूर है। साँची की तुलना में विदिशा से रेलगाड़ीयो की तादात बहुत ज्यादा है यहाँ पर मुंबई ,दिल्ली और देश के अन्य महत्वपूर्ण स्थानक से रेलवे की अवाजाबी दिनभर चलती है ।
सांची देश के प्रमुख शहरो से पक्की सड़को के साथ जुड़ा है। भोपाल,रायसेन और विदिशा से राज्य प्रशासन की बसेस नियमित रूप से साँची के लिए चलती है।

कहा पर ठहरे ?

सांची एक छोटा गांव है सांची से ज्यादा अच्छे  होटल विदिशा में मौजूद है। साँची में भी कई होटल पर्यटकोंको रहने की सुविधा देने में हमेंशा तयार रहते।

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