चीन की महान दिवार के बारे में रोचक (Reality Of Great Wall of China)
पूरी दुनिया में 7 अजूबे माने जाते हैं जिनमें मिस्र के पीरामिड ,भारत का ताजमहल और चीन की महान दीवार सबसे प्रमुख और लोकप्रिय हैं। चीन की दीवार अपने निर्माण के समय से ही , मजबूती और पुराने इतिहास के कारण विश्व प्रसिद्द है. आइये इस ब्लॉग में चीन की दीवार के बारे में कुछ रोचक तथ्य जानते हैं।
चीन की विशाल दीवार मिट्टी और पत्थर से बनी एक किलेनुमा दीवार है चीन में ईसा पूर्व पाँचवीं शताब्दी में चीन के उत्तरी दिशा से होने वाले खास तौर पर मंगोल और तुर्को के आक्रमणसे बचने के लिए कुई, यान और जाहो राजयो ने इस दीवार का निर्माण मिटटी और कंकड़ सी बनी ईटों किया था। चीन की यह महान दीवार 2,300 से अधिक साल पुरानी है।
1970 में चीन की ग्रेट वॉल ऑफ चाइना को आम पयर्टकों के लिए खोला गया था. इससे पहले चीन में पर्यटकों को आने पर पाबन्दी थी।
चीन की विशाल दीवार ६,४०० किलोमीटर के क्षेत्र में फैली है।इसका विस्तार पूर्व में शानहाइगुआन से पश्चिम में लोप नुर तक है और कुल लंबाई लगभग ६४ ०० कि॰मी॰ है। हालांकि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के हाल के सर्वेक्षण के अनुसार समग्र महान दीवार, अपनी सभी शाखाओं सहित 8,851 कि॰मी॰ (5,500 मील) तक फैली है।अपने उत्कर्ष पर मिंग वंश की सुरक्षा हेतु ईस दीवार पर दस लाख से अधिक सैनिक नियुक्त थे। यह अनुमानित है, कि इस महान दीवार की निर्माण परियोजना में लगभग २० से ३० लाख लोगों ने अपना जीवन लगा दिया था। और यह भी मान्यता है यंहा इस दीवार में १० हजार से ज्यादा मजदूरों को मौत के बाद दफना दिया है और ईसी कारण इस दीवार दुनिया का सबसे बड़ा कब्रस्थान माना जाता है। इतना ही नहीं तो मानव इतिहास में चीन की महान दिवार ये दुनिया में इंसानों की बनाई सबसे बड़ी संरचना है ।
ईसा २२१ में किन साम्राज्य से शासको ने पूर्व में बनायी हुई विभिन्न दीवारों को एक कर दिया जो की चीन की उत्तरी सीमा बनी। पांचवीं शताब्दी से बहुत बाद तक ढेरों दीवारें बनीं, जिन्हें मिलाकर चीन की दीवार कहा गया। उस दीवार के अंश के कुछ ही अवशेष बचे हैं। यह मिंग वंश द्वारा बनवाई हुई वर्तमान दीवार के सुदूर उत्तर में बनी थी। ये दिवार ९ फ़ीट से ३६ फ़ीट ऊँची है और एक सात दस लोक इस दिवार पर एकसाथ चल सकते है तो कुछ जगह महास कुछ सेंटीमीटर ही चौड़ी है। इस दीवार से दूर से आते शत्रुओं पर नजर रखने के लिए शेकडो बुर्ज और मीनारें भी बनाये गयी थीं। इतनी मजबूत दिवार होने के बावजूद मंगोल शासक चंगेज खान ने चीन की दिवार लाँधकर १२११ में चीन पर आक्रमण किया था।
बाद में इस दिवार की मरम्मत कई शाशको ने की इसमें हान, सुई, प्रमुख थे आज यह दीवार विश्व में चीन का नाम ऊंचा करती है, ऐव युनेस्को द्वारा १९८७ से इसे विश्व धरोहर घोषित है। जिसे देखने के लिए १ करोड़ से भी ज्यादा सैलानी हर साल आते है।
यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में शुमार चाइना वॉल की अब देख-रेख नहीं हो रही है, जिसके कारण इसके नष्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। दीवार का एक बड़ा हिस्सा प्राकृतिक आपदा और मानवीय लापरवाही के चलते गायब हो चुका है।
ग्रेट वॉल ऑफ चाइना के नाम से जानी जाने वाली यह दीवार अब अटूट संरचना नहीं रही। कई हिस्सों में बंटी यह दीवार 1962 किलोमीटर तक टूट चुकी है। इस ऐतिहासिक संरचना को टूरिस्ट ने भी काफी नुकसान पहुंचाया है। इतना ही नहीं आस-पास के गांव के लोग अपना मकान बनाने के लिए यूनेस्को के इस विश्व धरोहर स्थल से ईंटे तक चुरा रहे हैं और बेच रहे हैं, जिसे रोकने के लिए सरकार ने जुर्माना लगाया है।
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