महाराष्ट्र के अष्टविनायक गणपती.
हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम देवता का स्थान प्राप्त है महाराष्ट्र में भगवान गणेश के आठ पुरातन मंदिर है जिसे अष्टविनायक कहते है | आठ मंदिरो में से ५ पुणे जिले में दो रायगढ़ जिले में तो एक मंदिर अहमदनगर जिले में आता है, तो चलिए इस ब्लॉग में हम जानते है अष्टविनायक के बारे में पूरी जानकरी |
१ मोरगांव मोरेश्वर पुणे-बारामती रोड पर पुणे से ७० किमी दुरी पर स्थित इस भगवान गणेश को मोरेश्वर के नाम से जाना जाता है पुराणों में भगवान गणेश मयूर (मोर ) पर विराजमान होकर इस जगह पर आये थे |इसी लये भगवान को मोरेश्वर नाम मिला | गणेश मूर्ति के आँखों और नाभि में हीरो से सजाये गए है | मोरेश्वर को अष्टविनायक में सबसे पहल स्थान होता है |
२ सिद्दिविनायक सिद्धटेक ये अहमदनगर जिले के कर्जत तालुका प्लेस में भीमा नदी के किनारे बसे हुवे गांव में सिद्धिविनायक का बेहद ही खूबसूरत मंदिर है इसका जीर्णोद्वार पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर ने किया था | सिद्धटेक पुणे से लगभग १०३ किमी दूर है |
३ पाली बल्लालेश्वर रायगढ़ जिले में पुणे से १११ और खोपोली से ३७ किमी की दुरी पर है | काले पाषाण से ये मंदिर बना है इस मंदिर में एक भव्य घंटा है जिसे चिमाजी अप्पा ने मंदिर को दान की थी |मंदिर के नजदीक ही सुधागढ और सरसगढ़ पुरातन किले है साथी में उनहेर में गरम पांणी के झरने भी है |
४ महड वरदविनायक ये पुणे-गोवा राष्ट्रिय महामार्ग पर खोपोली- खालापुर रोड पर है यह मंदिर बहोत ही सिदा है भगवान गणेश की दाहिनी सूंड वाली मूर्ति है इस मंदिर का निर्माण बाजिराव पेशवा ने १७२५ में किया था | महड के गणपती को वरदविनायक के नाम से जाना जाता है |
५ थेऊर चिंतामणि ये पुणे-सोलापुर रोड पर ३० किमी की दुरी पर स्थित है थेऊर के गणपति को चिंतामणि के नाम से जाना जाता है |थोरले माधवराव पेशवा की समाधी भी यही पर है ,और पेशवा माधवराव के जीवन को दर्शाती एक प्रदर्शनी भी यंहा पर दिखाई गई है |
६ लेण्याद्रि का गिराजात्मक ये ओझर से केलव १४ किमी दूर है पुणे से ९५ किमी और जुन्नर से ७ किमी दूर है | ये गणेश मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है ऊपर जाने के लिए ४०० से भी ज्यादा सिडिया चढ़ के जाना पड़ता है |पहाड़ को तराशकर यंहा पर गुंफाये बनायीं गयी है और इसमें भगवन गणेश की मूर्ती उकेरी गयी है | गौर से देखा जाये तो ये पुरातन बौद्ध गुंफाये है बाद में इसे गणेश मंदिर में तब्दील किया गया है | यंहा से नजदीक ही छत्रपति शिवजी महाराज का जन्मस्थल शिवनेरी किला भी है |
७ ओझर का विघ्नेश्र्वर ये पांचवा गणपती है जो पुणे जिले के जुन्नर तालुका में पुणे से लगभग ८५ किमी की दुरी पर स्थित है | ये अष्टविनायक में सबसे आमिर गणपती माना जाता है | मूर्ति के सर पर हिरा जडा है तो आँखों में माणिक जड़े है इस मंदिर का निर्माण बाजीराव पेशवा के भाई चिमाजी अप्पा ने कुकड़ी नदी के किनारे किया था | यंहा पर भक्तो को रहने का इंतजाम भी किया है | नजदीक ही अरवी उपग्रह केंद्र है यंहा एशिया की सबसे बड़ी दूरबीन है |
८ महागणपति रांजणगांव पुणे-औरंगाबाद रोड पर ६० किमी की दुरी पर रांजणगांव का महागणपती का खूबसूरत मंदिर है | महागणपति को दस हाथ है और भगवान कमल के फूल पर विराजमान है ये मूर्ति १० वि शताब्दी की है और ये दाहिनी सूंड वाला गणपति है |
तो ये थे महारष्ट्र के अष्टविनायक महाराष्ट्र में कई सारे स्थानिक टूर ऑपरेटर दो दिन के टूर संचालित करते है वही महाराष्ट्र स्टेट ट्रांसपोर्ट भी अष्टविनायक दर्शन के टूर की सुविधा मुहैया करते है |.
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