'ठरलं तर मग' आजचा भाग २ एप्रिल २०२४ Tharal tar mag today's episode reviews.

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 'ठरलं तर मग' आजचा भाग २ एप्रिल २०२४ Tharal tar mag today's episode reviews  ठरलं तर मग या मालिकेच्या आजच्या भागामध्ये आपण पाहणार आहोत सुभेदारांच्या घरची धुळवड अगदी उत्साहात साजरी होत असते प्रत्येक जण एकमेकांना रंग लावत असतात मग काही वेळानंतर तेथे पुर्णाआजी येतात तेव्हा अस्मिता पळत  जाते आणि आजी असं म्हणून पुर्णाआजीला  रंग लावते त्या खूपच खुश होतात आणि सायलीकडे पाहतात तर ती एकटीच उभी असल्यामुळे त्या विचारतात ही का अशी उभी आहे ग त्यावेळी अस्मिता म्हणते अर्जुनची वाट पाहत असेल बाकी काय असं म्हणून ती लगेच नाक मुरडते मग काही वेळानंतर तेथे प्रताप येतो आणि म्हणतो पुर्णाआजी मी तुला रंग लावणार असं म्हणून तो देखील आता पुर्णाआजी रंग लावतो तेवढ्यातच कल्पना विमल त्याचबरोबर सायली देखील तेथे येतात सायली पुर्णाआजी रंग लावून म्हणते हॅपी होळी पुर्णाआजी असं म्हणून ती आशीर्वाद देखील घेते तेव्हा त्या देखील सायली ला आशीर्वाद देतात पुढे पुर्णाआजी विचारतात अरे अश्विन आहे कुठे? तेवढ्यातच अश्विन आत येथे येतो आणि पूपुर्णाआजी विचारतात की अरे तू कुठे गेला होतास एवढा वेळ तो म्हणतो मी दादाला बोलवायला गेल

हवामहल जयपुर,राजस्थान (Hawa Mahal Jaipur Rajasthan)


हवामहल जयपुर,राजस्थान (Hawa Mahal Jaipur Rajasthan)


Hawa Mahal Jaipur

   हवामहल भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है हवामहल जो राजस्थान की राजधानी जयपुर में  स्थित है लाल बलुवा पत्थर से इस महल का निर्माण  १७९८-९९ में राजा सवाई प्रताप सिंह ने किया था,हवा महल हिन्दू-राजपुर और मुग़ल स्थापत्य कला का नायाब नमूना है | हवामहल के मुख्य वास्तुकार लालचंद थे लालचंद ने जयपुर में और कई सारे इमारतों कभी निर्माण किया है | माना ये जाता है की ये महल भगवान् राधा-कृष्णा को अर्पण है ,बहार से देखा जाये तो ये महल भगवन कृष्णा के मुकुट की तरह दीखता है |


  हवा महल कुल पांच मंजिला है जिसकी मुख्य आधार से ऊंचाई ५० फ़ीट है | इस महल में कुल ९५३ खिडकिया बनाई गई है | खिड़कियों से सामने की सड़क दिखाई देती है और इस महल के निर्माण का उद्देश्य भी यही था की राजमहल की महिलाओं को अपने पर्दे में रहकर शहर के उत्सव और रोजमर्या की दिनचर्या देख सके उन दिनों राजस्थान में महिलाओं को पर्दे में रहना पड़ता था और इस प्रथा का सटीकता से पालन किया जाता था इसी कारण हवा महल की खिड़किया जालीदार बनाई गई है |


इसके अतिरिक्त, "वेंचुरी प्रभाव" के कारण इन जटिल संरचना वाले जालीदार झरोखों से सदा ठंडी हवा, महल के भीतर आती रहती है, जिसके कारण तेज़ गर्मी में भी महल सदा वातानुकूलित सा ही रहता है।

  
इस महल की और  एक खास बात ये है की इसकी जन्नत वाले दीवारे केवल ८ इंच चोड़ी है जिसपर पांच मंजिला महल खड़ा है| हवामहल में साल के दिनों के बराबर ३६५ ज़ाली झरोके है | हवा महल की सबसे ऊपरी दो मंजिलों में जाने के लिए केवल खुर्रों की व्यवस्था है। ऐसा कहा जाता है कि रानियों को लम्बे घेरदार घाघरे पहन कर सीडियां चढ़ने में होने वाली असुविधा को ध्यान में रख कर इसकी ऊपरी दो मंजिलों में प्रवेश के लिए सीढियों की जगह खुर्रों का प्रावधान किया गया था।


 हवामहल सिटी पैलेस का ही एक हिस्सा माना जाता है  हवा महल में सामने की और से कोई दरवाजा नहीं है मुख्य महल के दाहिने और बाये ओर दो प्रवेशद्वार बनाये गए है |


   सिटी पैलेस की ओर से हवा महल में शाही दरवाजे से प्रवेश किया जा सकता है। यह एक विशाल आँगन में खुलता है, जिसके तीन ओर दो-मंजिला इमारतें हैं और पूर्व की और भव्य हवा महल स्थित है। इस आँगन में एक पुरातात्विक संग्रहालय भी है।


हवा महल की खिडकियों में रंगीन शीशों का अनूठा शिल्प है । जब सूर्य की रौशनी इन रंगीन शीशों से होकर हवा महल के कमरों में प्रवेश करती है तो पूरा कमरा इन्द्रधनुषी आभास से भर जाता है।

हवा महल की खिड़की से पिछले हिस्से का एक बेहतरीन नज़ारा दिखाई देता है जिसमे  दुनिया में मशहूर जंतर मंतर का सम्राट यन्त्र दिखाई देता है और  एक लम्बी मीनार के रूप में ईसरलाट भी देखी जा सकती है |

  
हवा महल महाराजा जय सिंह का विश्राम करने का पसंदीदा स्थान था क्योंकि इसकी आतंरिक साज-सज्जा बेहद खूबसूरत है। इसके सभी कक्षों में, सामने के हिस्से में स्थित ९५३ झरोखों से सदा ही ठंडी हवा बहती रहती थी, जिसकी ठंडक का प्रभाव गर्मियों में और बढाने के लिए सभी कक्षों के सामने के दालान में फव्वारों की व्यवस्था भी है।

हवा महल के पिछले हिस्से से इस मायने में ठीक विपरीत है, क्योंकि हवा महल का पिछला हिस्सा एकदम सादा है। इसकी सांस्कृतिक और शिल्प सम्बन्धी विरासत हिन्दू राजपूत शिल्प कला और मुग़ल शैली का एक अनूठा मिश्रण है |

कैसे पहुंचे  (How to get there)



जयपुर राजस्थान की राजधानी का शहर होने के साथ-साथ भारत का एक महत्वपूर्ण शहर भी है जो की देश प्रमुख शहरों से रोड, रेल तथा हवाई यातायात से जुड़ा है | मुंबई ,दिल्ली ,कोलकत्ता चेन्नई,बंगलोर,हैदराबाद जैसे बड़े शहरो से प्रतिदिन फ्लाइट,और रेलवे चलती है |


   कहाँ पर ठहरे  (Where to stay Accommodation )



जयपुर में आपको सभी कैटागिरी के होटेल मिलेंगे रेगुलर होटल के साथ राजस्थान अपने हेरिटेज होटल के लिए भी दुनिया में मशहूर है ऐसे होटल में पुराने राजमहल को होटल में तब्दीद  किया जाता है और पर्यटकों को की  
 शाही मेहमान नवाजी की जाती है |


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