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नवंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

'ठरलं तर मग' आजचा भाग २ एप्रिल २०२४ Tharal tar mag today's episode reviews.

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 'ठरलं तर मग' आजचा भाग २ एप्रिल २०२४ Tharal tar mag today's episode reviews  ठरलं तर मग या मालिकेच्या आजच्या भागामध्ये आपण पाहणार आहोत सुभेदारांच्या घरची धुळवड अगदी उत्साहात साजरी होत असते प्रत्येक जण एकमेकांना रंग लावत असतात मग काही वेळानंतर तेथे पुर्णाआजी येतात तेव्हा अस्मिता पळत  जाते आणि आजी असं म्हणून पुर्णाआजीला  रंग लावते त्या खूपच खुश होतात आणि सायलीकडे पाहतात तर ती एकटीच उभी असल्यामुळे त्या विचारतात ही का अशी उभी आहे ग त्यावेळी अस्मिता म्हणते अर्जुनची वाट पाहत असेल बाकी काय असं म्हणून ती लगेच नाक मुरडते मग काही वेळानंतर तेथे प्रताप येतो आणि म्हणतो पुर्णाआजी मी तुला रंग लावणार असं म्हणून तो देखील आता पुर्णाआजी रंग लावतो तेवढ्यातच कल्पना विमल त्याचबरोबर सायली देखील तेथे येतात सायली पुर्णाआजी रंग लावून म्हणते हॅपी होळी पुर्णाआजी असं म्हणून ती आशीर्वाद देखील घेते तेव्हा त्या देखील सायली ला आशीर्वाद देतात पुढे पुर्णाआजी विचारतात अरे अश्विन आहे कुठे? तेवढ्यातच अश्विन आत येथे येतो आणि पूपुर्णाआजी विचारतात की अरे तू कुठे गेला होतास एवढा वेळ तो म्हणतो मी दादाला बोलवायला गेल

कार्ला गुंफाये,लोणावला महाराष्ट्र (Karla Caves,Lonawala Maharashtra )

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कार्ला गुंफाये,लोणावला महाराष्ट्र.  Karla Caves,Lonawala Maharashtra. कार्ला गुंफाये ये महाराष्ट्र के मशहूर हिल स्टेशन लोणावला से केवल ११ किमी पुणे की ओर और पुराने मुंबई-पुणे हाईवे पर स्थित है,तो वही पुणे से ६० किमी दूर स्थित है | ये गुंफाये बुद्धिस्ट स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है | गुंफा के अंदर मौजूद ब्राम्ही लिपी के शिलालेख से ये पता चलता है की इन गुंफाओंका निर्माण पश्चिमी क्षत्रप राजाओ ने इसा के पूर्व दूसरे शतक से लेके इसा दूसरे शतक के बीच में किया था | इतिहास में ऐसा सामने आया है की दूसरी सदी में राजा नहपान के समय कार्ला का नाम 'वलुकुरा' था जो बाद में समय के साथ बदलते हुवे कार्ला हुवा | महाराष्ट्र और भारत की  ज्यादातर बौद्ध गुंफाये प्राचीन व्यापारी मार्ग पर बसी हुवी थी ताकी व्यापारीओको रास्ते में आराम तथा रात को रुकने के लिए कोई जगह मिले | कार्ला में कुल १६ गुंफाये है लेकिन सबसे मशहूर,भव्य और खूबसूरत तो गुफा नंबर आठ है जोकि ग्रेट चैत्य गृह है |    चैत्य गृह याने बौद्धों का प्रार्थना स्थल है जो की देश का सबसे बड़ा चैत्य है जिसकी लम्बाई ३८ मीटर

महाबळेश्वर महाराष्ट्र Mahabaleshwar ,Maharashtra

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महाबळेश्वर महाराष्ट्र  Mahabaleshwar ,Maharashtra.   महाबलेश्वर भारत के सबसे प्रमुख हिल स्टेशन में से एक है ,तो वही महाबलेश्वर को महाराष्ट्र का कश्मीर भी कहा जाता है | पश्चिमी  घाट की खूबसूरत वादियों में बसे महाबलेश्वर पर प्रकृति कुछ ज्यादा ही मेहरबान हुवी है यंहा का जंगल इतना घाना है की २० फ़ीट से आगे इंसान देख ही नहीं पाता | समंदर की सतह से ४५०० फ़ीट ऊंचाई पर बसा ये गांव ब्रिटिश समय  में बॉम्बे प्रेसीडेन्सी की उपराजधानी | स्ट्रॉबेरी की हलकी खुशबू  हर तरफ खूबसूरत बागान, और सांसे थामने वाला प्राकृतिक सौन्दर्य देखकर आने वाले पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते है | 👇👇👇  Scroll below to watch complete video 👇👇👇 महाबलेश्वर को देखने के लिए २ दिन का समय लगता इसमें आप अच्छी तरह से पूरा महाबलेश्वर देख सके है यंहा देखने के लिए कई सारे महत्वपूर्ण पॉइंट है जो की महाबलेश्वर की खूबसूरती बयान करते है |   महाबलेश्वर महाराष्ट्र के सतारा जिले में बसा है | यह पर भगवान महाबलेश्वर का एक पुरातन मंदिर है, जिसके नाम से इस गांव को  महाबलेश्वर नाम मिला | महाबलेश्वर महाराष्ट्र की सबसे ज्यादा बारिश वा

"सिंहगड" मराठा साम्राज्य का ऐतिहासिक किला ( Sinhgadh Fort ,Pune Maharashtra )

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"सिंहगड "मराठा साम्राज्य का ऐतिहासिक किला   सिंहगड किला छत्रपति शिवजी महाराज के राज्य का एक महत्वपूर्ण किला था | पुणे शहर से केवल ३६ किमी खडकवासला रोड पर ये किला भुलेश्वर नामक एक पहाड़ी पर स्थित है | ये किला समुद्री सतह से लगभग १३१२ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है | इस किले से पर्यटकों को मराठा साम्राज्य के कुछ और किलेजैसे के   विसापूर,राजगढ़,तोरणा पुरंदर और लोहगड दिखाई देते  है |इस किले के निर्माण संबधी  कोई पुख्ता साबुत इतिहास में नहीं मिलते इस किले के ऊपर भगवान कोंढानेश्वर का एक यादवकालीन मंदिर है जो की भगवान शिवजी का एक रूप माना  जाते है इसी कोंढानेश्वर की वजह से इस किले का नाम कोंढाणा पड़ा ,और इसी कारण ये  माना जाता  है की इस किले का निर्माण यादव राजाओ ने कराया था |इस किले पर यादव ,तुगलग, विजापुर के आदिलशाह, अहमदनगर के निजामशाह ,मुघल और आखिर में मराठा एंव  ब्रिटिशो का कब्ज़ा रहा था | सन १६६५ में पुरंदर की  संधि से ये किला मुघलो को मिला ,लेकिन शिवाजी महाराज को ये कदापी  मंजूर नहीं था पश्यात  महाराज ने इसपर फिर से कब्ज़ा करने की कवायत सुरु की इस किले को हासिल करने का इत

गणपतीपुळे कोंकण रत्नागिरी महाराष्ट्र (Ganpatipule Ratnagiri Maharashtra )

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 गणपतीपुळे कोंकण,रत्नागिरी महाराष्ट्र.       गणपतीपुळे कोंकण के रत्नागिरी ज़िले बसा एक बेहद ही खूबसूरत समंदर किनारा है सूंदर बीच के आलावा ये जगह भगवान गणेश के स्वंयभू मंदिर के लिए मशहूर है| माना यह जाता है की यंहा पर चारसो साल पहले गणेश भगवान प्रकट हुवे थे और उन्होंने यंहा के स्थानिक लोगो को समंदर के प्रकोप से बचाया था |  इसी  गणपती की वजह से इस गाँव को  गणपतीपुळे का नाम मिला इतना ही नहीं तो स्थानिक लोक गणेश मंदिर के पीछे की  छोटी पहाड़ी को भगवान् गणेश के रूप में पूजा करते है |     गणपतीपुळे पिछले दो दशक से महाराष्ट्र का मशहूर पर्यटन स्थल बन गया है | मुंबई और पुणे के लोक शहरी जीवन से दूर अपना वीकेंड मानाने के लिए बड़ी तादाद में गणपतीपुळे को अपनी पहली पसंदिति देते है | गणपतीपुळे  में गणेश मंदिर और सूंदर समुन्दर किनारे के आलावा पिछले कुछ सालो में यंहा पर कई सारे नए नए गतिविधिया और पर्यटन स्थल विकसित किये गए है ,इनमे  मोम  का संग्रहालय (Wax Museum),प्राचीन कोंकण ( पारंपारीक कोंकणी जीवनपद्धति की प्रतिकृती ) एक्वेरियम ,नारियल,काजू और हापूस के बागान ये यंहा के मशहूर जग

तारकर्ली ,सिंधुदुर्ग महाराष्ट्र (Tarkarli Maharashtra )

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तारकर्ली (Tarkarli )   तारकर्ली  को महाराष्ट्र का सबसे खूबसूरत बीच माना जाता है और देश के सबसे सुन्दर बीचो में शुमार होता है | ये खूबसूरत गांव दक्षिण कोंकण मे सिंधुदुर्ग जिले में बसा है | तारकर्ली  को भारत का तिहेती भी कहा जाता है |और उसका कारण आपको यंहा आने पर पता चलेगा | साफ़ दिन में आप पांणी के निचे १० फ़ीट तक देख सकते है | सफ़ेद रेत वाला इतना साफ़ और सूंदर बीच शायद ही देश में कही  और दिखेगा | तारकर्ली  कर्ली नदी के मुहाने पर बसा एक खूबसूरत गांव है तारकर्ली के सटीक ही देवबाग नामक बीच है |  तारकर्ली महाराष्ट्र का सबसे  पसंदिता वीकेंड डेस्टिनेशन है | तारकर्ली मुंबई से ४८५ और पुणे ४३० किलोमीटर दक्षिण में स्थित है तो वही गोवा से केवल ११० किलोमीटर उत्तर में स्थित है | एक बार तारकर्ली  की खूबसूरती देखने के बाद आपका मन गोवा जाने लिए तैयार नहीं होगा |  तारकर्ली से मालवण केवल ७ किमी दूर है| मालवण में छत्रपति शिवाजी महाराज ने बनाया हुवा समुद्री किला जो की मालवण और सिंधुदुर्ग किले के नाम से भी जाना जाता है |इस किले का निर्माण शिवजी महाराज ने १६६४ में किया था इसके मुख्य

राजस्थान के दस प्रमुख पर्यटन स्थल (Top 10 Tourist Attractions in Rajasthan )

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राजस्थान के दस प्रमुख पर्यटन स्थल  (Top 10 Tourist Attractions in Rajasthan )    राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है ये जितना बड़ा राज्य है उतनी ही बड़ी तादाद में पर्यटक यंहा खींचे चले एते है |राजस्थान में  आकर्षणों की कमी नहीं है | राजस्थान में  सिर्फ समंदर की कमी है लेकिन वो कमी भी यंहा के सरोवर कुछ हद तक पूरी करते है | राजस्थान में हर प्रकार के पर्यटक राजस्थान को अपनी पहली पसंदीती देते है |राजस्थान में रेगिस्तान ,हिल स्टेशन,ऐतिहासिक किले ,पैलेस ,वन्यजीव अदि की भरमार है .तो चलिए इस ब्लॉग में हम  जानकारी लेते है राजस्थान के दस प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में जोकि पर्यटकों की पहिली पसंदीती होती है| जयपुर Jaipur  जयपुर राजस्थान की राजधानीका शहर है जयपुर जो को पिंक सिटी के नाम से भी जाना जाता है क्यों की यंहा की ज्यादातर ऐतिहासिक इमारतों का रंग लाल-गुलाबी है | जयपुर शहर का निर्माण राजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने १७२७  किया था | जयपुर में ऐतिहासिक महल ,गार्डन,किले, हैंडीक्राफ्ट्स अदि के लिए मशहूर है इनमे सबसेप्रमुख है | हवा महल,जंतर मंतर, अमर किला,नेहरगढ़ ,सिटी पैलेस ,जल महल,ब